UPPSC भर्ती घोटाला: पीआइएल करने वालों की हो रही तलाश, आयोग का कामकाज रोकने पर दाखिल हुई थी तीन याचिकाएं
UPPSC भर्ती घोटाला: पीआइएल करने वालों की हो रही तलाश, आयोग का कामकाज रोकने पर दाखिल हुई थी तीन याचिकाएं
इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों की जांच कर रहे सीबीआइ अफसरों के सामने एक नई बात सामने आई है। पता चला है कि आयोग का कामकाज रोकने के सरकार के मौखिक आदेश पर ही तीन याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल हो गई थीं। एक अन्य याचिका वर्तमान अध्यक्ष की नियुक्ति के खिलाफ दाखिल हुई थी। हालांकि यह याचिकाएं खारिज हो गईं लेकिन, संदेह है कि इन्हें दाखिल करने वाले आयोग के ही इशारे पर चल रहे थे। सीबीआइ यह पता लगाने की कोशिश में हैं कि तीन याचिकाएं दाखिल करने वाले 40 से अधिक याची कौन थे और इसके पीछे उनका क्या मकसद था।
सीबीआइ ने आयोग से भर्ती परीक्षाओं के डाटा और मूल कापियों को लेने के अलावा कई अन्य दस्तावेज भी हासिल किए हैं। इन सभी का इस्तेमाल परीक्षाओं में हुए गलत चयन के मामले में साक्ष्य जुटाने को किया जा रहा है। सीबीआइ सूत्रों के अनुसार आयोग की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट व शीर्ष कोर्ट में दाखिल मुकदमों के भी कागजात लिए जा चुके हैं। इनसे पता चला है कि तीन जनहित याचिकाएं उस समय ही दाखिल हो चुकी थीं जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की सत्ता संभालते ही आयोगों के कामकाज पर अंगुली उठाते हुए रोक लगाई थी। याचिकाएं 40 से अधिक लोगों ने दाखिल की थीं। इनमें प्रतियोगी छात्र थे और कई बाहरी तत्व भी थे। इन बाहरी तत्वों के बारे में पता चला है कि ये आयोग के अधिकारियों और सदस्यों के लिए दलाली करते थे। एक ऐसी याचिका दाखिल हुई थी जिसमें आयोग के वर्तमान अध्यक्ष की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। हालांकि यह सभी याचिकाएं कोर्ट ने खारिज कर दी थीं, जबकि याचिकाओं में लगाए गए आरोप में पेंच होने से संदेह हुआ कि इन्हें दाखिल करने वाले आयोग के विरोध में नहीं बल्कि पक्षधर थे।
सीबीआइ को संदेह है कि याचिकाएं दाखिल करने के पीछे अधिकारियों को बचाना मुख्य मकसद था और यह भी कि अपने ही लोगों से याचिका दाखिल करवाकर उसके खारिज हो जाने से दूसरा कोई वास्तविक विरोधी आयोग के खिलाफ याचिका दाखिल न कर सके।’>>आयोग का कामकाज रोकने पर दाखिल हुई थी तीन याचिकाएं1’>>सीबीआइ को संदेह, आयोग के ही इशारे पर चल रहे थे याची
सीबीआइ ने आयोग से भर्ती परीक्षाओं के डाटा और मूल कापियों को लेने के अलावा कई अन्य दस्तावेज भी हासिल किए हैं। इन सभी का इस्तेमाल परीक्षाओं में हुए गलत चयन के मामले में साक्ष्य जुटाने को किया जा रहा है। सीबीआइ सूत्रों के अनुसार आयोग की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट व शीर्ष कोर्ट में दाखिल मुकदमों के भी कागजात लिए जा चुके हैं। इनसे पता चला है कि तीन जनहित याचिकाएं उस समय ही दाखिल हो चुकी थीं जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की सत्ता संभालते ही आयोगों के कामकाज पर अंगुली उठाते हुए रोक लगाई थी। याचिकाएं 40 से अधिक लोगों ने दाखिल की थीं। इनमें प्रतियोगी छात्र थे और कई बाहरी तत्व भी थे। इन बाहरी तत्वों के बारे में पता चला है कि ये आयोग के अधिकारियों और सदस्यों के लिए दलाली करते थे। एक ऐसी याचिका दाखिल हुई थी जिसमें आयोग के वर्तमान अध्यक्ष की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। हालांकि यह सभी याचिकाएं कोर्ट ने खारिज कर दी थीं, जबकि याचिकाओं में लगाए गए आरोप में पेंच होने से संदेह हुआ कि इन्हें दाखिल करने वाले आयोग के विरोध में नहीं बल्कि पक्षधर थे।
सीबीआइ को संदेह है कि याचिकाएं दाखिल करने के पीछे अधिकारियों को बचाना मुख्य मकसद था और यह भी कि अपने ही लोगों से याचिका दाखिल करवाकर उसके खारिज हो जाने से दूसरा कोई वास्तविक विरोधी आयोग के खिलाफ याचिका दाखिल न कर सके।’>>आयोग का कामकाज रोकने पर दाखिल हुई थी तीन याचिकाएं1’>>सीबीआइ को संदेह, आयोग के ही इशारे पर चल रहे थे याची
UPPSC भर्ती घोटाला: पीआइएल करने वालों की हो रही तलाश, आयोग का कामकाज रोकने पर दाखिल हुई थी तीन याचिकाएं
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May 29, 2018
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