शिक्षक भर्ती घोटाले में हैंडराइटिंग में फंसेगी अफसरों की गर्दन, फर्जी दस्तखत करने की कहकर अफसरों को बचाने की कोशिश
शिक्षक भर्ती घोटाले में हैंडराइटिंग में फंसेगी अफसरों की गर्दन, फर्जी दस्तखत करने की कहकर अफसरों को बचाने की कोशिश
मथुरा: बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया मोड़ आ गया है। एसटीएफ के हत्थे चढ़े मास्टरमाइंड पर फर्जी दस्तखत करने की बात संदेह के सवाल खड़े कर रही है। इसके पीछे बीएसए और बीइओ को बचाए जाने की कोशिश मानी जा रही है। नियुक्ति पत्रों के हस्ताक्षरों के मिलान कराए जाने पर अफसरों की गर्दन फंसने की संभावना से विभागीय अधिकारी-कर्मचारी इन्कार नहीं कर रहे हैं।
शिक्षक भर्ती घोटाले में चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। स्पेशल टॉस्क फोर्स आगरा ने शिक्षक राजवीर सिंह गिरफ्तारी के बाद एक नया रहस्य उजागर किया है। एसटीएफ ने दावा किया है कि शिक्षक राजवीर सिंह फर्जी हस्ताक्षर करने में माहिर है। उसने ही फर्जी शिक्षकों के नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। एसटीएफ के इस दावे पर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ही सवाल उठा रहे हैं। नियुक्ति पत्र को देखने के बाद ही
बीएसए ने शिक्षकों को कालेज आवंटित किए थे। उस समय भी बीएसए ने अपने हस्ताक्षर क्यों नहीं देखे थे? देखे तो वह अपने फर्जी हस्ताक्षरों को क्यों नहीं पहचान पाएं? इसके बाद नियुक्ति पत्र की फाइल खंड शिक्षा अधिकारियों को भेजी गई। खंड शिक्षा अधिकारियों ने भी क्या वही गलती दोहरायी जो बीएसए ने फाइल पर स्कूल आवंटन करते समय की थी? क्या खंड शिक्षा अधिकारी बीएसए के हस्ताक्षर नहीं पहचानते थे? अगर पहचानते थे तो फिर यह जानकारी बीएसएस को क्यों नहीं दी गई? क्या प्रधानाध्यापक भी अपने अधिकारी के हस्ताक्षर पहचानने में गच्चा खा गए? माना यह भी जा रहा है कि अगर बीएसए के हस्ताक्षरों की कोई नहीं पहचानता था तो फिर भर्तियों के अलावा अन्य मामलों में भी बड़े स्तर पर गड़बड़ियां की गई होगी। यही सवाल एसटीएफ के दावे को संदेह के घेरे में ला रहे हैं। इस राज से पर्दा तभी उठ पाएगा, जब अधिकारियों, शिक्षक की नियुक्ति पत्र और अन्य फाइलों पर किए गए हस्ताक्षरों की फोरेंसिक लैब में जांच कराई जाए।
शिक्षक भर्ती घोटाले में चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। स्पेशल टॉस्क फोर्स आगरा ने शिक्षक राजवीर सिंह गिरफ्तारी के बाद एक नया रहस्य उजागर किया है। एसटीएफ ने दावा किया है कि शिक्षक राजवीर सिंह फर्जी हस्ताक्षर करने में माहिर है। उसने ही फर्जी शिक्षकों के नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। एसटीएफ के इस दावे पर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ही सवाल उठा रहे हैं। नियुक्ति पत्र को देखने के बाद ही
बीएसए ने शिक्षकों को कालेज आवंटित किए थे। उस समय भी बीएसए ने अपने हस्ताक्षर क्यों नहीं देखे थे? देखे तो वह अपने फर्जी हस्ताक्षरों को क्यों नहीं पहचान पाएं? इसके बाद नियुक्ति पत्र की फाइल खंड शिक्षा अधिकारियों को भेजी गई। खंड शिक्षा अधिकारियों ने भी क्या वही गलती दोहरायी जो बीएसए ने फाइल पर स्कूल आवंटन करते समय की थी? क्या खंड शिक्षा अधिकारी बीएसए के हस्ताक्षर नहीं पहचानते थे? अगर पहचानते थे तो फिर यह जानकारी बीएसएस को क्यों नहीं दी गई? क्या प्रधानाध्यापक भी अपने अधिकारी के हस्ताक्षर पहचानने में गच्चा खा गए? माना यह भी जा रहा है कि अगर बीएसए के हस्ताक्षरों की कोई नहीं पहचानता था तो फिर भर्तियों के अलावा अन्य मामलों में भी बड़े स्तर पर गड़बड़ियां की गई होगी। यही सवाल एसटीएफ के दावे को संदेह के घेरे में ला रहे हैं। इस राज से पर्दा तभी उठ पाएगा, जब अधिकारियों, शिक्षक की नियुक्ति पत्र और अन्य फाइलों पर किए गए हस्ताक्षरों की फोरेंसिक लैब में जांच कराई जाए।
शिक्षक भर्ती घोटाले में हैंडराइटिंग में फंसेगी अफसरों की गर्दन, फर्जी दस्तखत करने की कहकर अफसरों को बचाने की कोशिश
Reviewed by CNN World News
on
July 27, 2018
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