विडंबना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई का माहौल बनाने के लिए सरकार को तरह-तरह के टोटके करने पड़ रहे हैं
शिक्षकों पर लगाम: अपने बच्चों को उन्हीं स्कूलों में पढ़ाएं, जहां वे खुद पढ़ाते, विडंबना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई का माहौल बनाने के लिए सरकार को तरह-तरह के टोटके करने पड़ रहे हैं
संभव है कि तमाम शिक्षकों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह नसीहत अच्छी न लगी हो कि वे अपने बच्चों को उन्हीं स्कूलों में पढ़ाएं, जहां वे खुद पढ़ाते हैं। वैसे यह नई नसीहत नहीं है। लोग इससे भी आगे बढ़कर अपेक्षा जताते रहे हैं कि स्कूलों का शैक्षिक स्तर सुधारने के लिए स्थानीय सांसद, विधायकों, महापौर, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और अन्य प्रभावशाली हस्तियों के बच्चों का स्थानीय सरकारी स्कूलों में पढ़ना बाध्यकारी किया जाए। आम आदमी की यह अपेक्षा न पूरी हुई है और न कभी होगी। यह भी तय है कि अपवाद छोड़कर कोई भी शिक्षक अपने बच्चों को उन सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ने देगा, जहां वे खुद पढ़ाते हैं। ऐसे में यह बात मुख्यमंत्री के लिए भी मायने रखती है कि उनकी नसीहत का क्या हश्र होगा। वास्तव में इस प्रकरण में मुख्यमंत्री के शब्दों से ज्यादा महत्वपूर्ण उनकी मंशा है। उनके कहने का आशय यह है कि शिक्षक स्कूलों में पढ़ाते नहीं। यदि उनके बच्चे उन्हीं स्कूलों में पढ़ने लगें तो शायद अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की खातिर वे पढ़ाना शुरू कर दें। विडंबना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई का माहौल बनाने के लिए सरकार को तरह-तरह के टोटके करने पड़ रहे हैं। विद्यार्थियांे को स्कूल लाने के लिए मिडडे मील व्यवस्था शुरू की गई जबकि शिक्षकों से अपेक्षा की जा रही कि वे अपने बच्चों को अपने ही स्कूलों में पढ़ाएं। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा के स्तर को लेकर मुख्यमंत्री की चिंता गैरजरूरी नहीं है। माध्यमिक शिक्षा की बदहाली और परीक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार की मुख्य वजह प्राथमिक शिक्षा काखोखलापन है। स्वाभाविक रूप से इसका ज्यादा प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ रहा है जहां शहरों के विपरीत प्राथमिक शिक्षा का दारोमदार सरकारी स्कूलों पर ही है। शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे मुख्यमंत्री से लेकर गांव के आम आदमी तक की चिंता महसूस करें। समझ से परे है कि शिक्षक अध्यापन कार्य से विमुख क्यों हो रहे हैं। सरकार को ऐसे नियम-कानून बनाने चाहिए ताकि प्राथमिक शिक्षक अपने मूल कर्तव्य का पालन करने को बाध्य हों। स्कूलों का माहौल अच्छा होगा तो शिक्षक अपने बच्चों को स्वत: अपने स्कूलों में पढ़ाएंगे।
विडंबना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई का माहौल बनाने के लिए सरकार को तरह-तरह के टोटके करने पड़ रहे हैं
Reviewed by CNN World News
on
September 07, 2018
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